जानिए गायत्री मंत्र का अर्थ, महत्व, फायदे एवं जाप करने का विधि
हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र का महत्व बहुत अधिक है। इसे हम महामंत्र भी कहते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथो में मान्यता है कि ऋग्वेद की शुरुआत भी गायत्री मंत्र से होती है। गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र से मानसिक विकार दूर होते हैं। यह मंत्र श्री गायत्री देवी का स्त्री रूप है। इस मंत्र के जाप से हर तरह के पाप और कष्ट दूर होते हैं। इसी कारण आदिकाल से ही लोग गायत्री मंत्र का जाप करते आ रहे हैं। यदि आप गायत्री मंत्र के अर्थ, महत्व एवं फायदों से परिचित नहीं है तो इसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए क्योंकि यह सबसे प्राचीन मंत्र है, जिसकी रचना स्वयं ब्रह्मा जी ने की थी।
गायत्री मंत्र क्या है?
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र का महत्व सर्वोपरि है। गायत्री मंत्र का अर्थ कुछ इस प्रकार हैं:-
पहला अर्थ: हम लोग पृथ्वी लोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में समाए हुए सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज को ध्यान में रखते हैं ताकि हमारी बुद्धि सही रास्ते की तरफ बढ़े।
दूसरा अर्थ: गायत्री मंत्र का दूसरा अर्थ है हम अपने अंतःकरण में उस तेजस्वी, पापनाशक, दुखनाशक, श्रेष्ठतम, सूखस्वरूप ईश्वर को धारण करें जो हमारी बुद्धि को सद्मार्ग पर चलने की तरफ प्रेरित करते हैं।
तीसरा अर्थ: गायत्री मंत्र का तीसरा अर्थ है- ॐ: सर्वरक्षक परमात्मा, भू: जीवन से प्यारा, भुव: दुखहर्ता, स्व: सुखस्वरूपा है, तत्: उस, सवितु: उत्पादक, वरेण्य: धारण करने योग्य, भर्गो: पवित्र विज्ञान जैसा, देवस्य: परमात्मा के, धीमहि: ध्यान करें, धियो: विवेक, यो: जो, न: हमारी, प्रचोदयात्: शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करते हैं।
गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र में हर शब्द के अलग-अलग अर्थ एवं महत्व हैं। इसके प्रत्येक शब्द की व्याख्या निम्नलिखित है:
- ॐ = ईश्वर जो सर्वश्रेष्ठ है, जो हमारी सहायता करते हैं वह सृष्टि के हर कण में मौजूद हैं।
- भू = धरती जो पूरे जगत जीवन का आधार है वो हमें प्राणों से भी प्रिय है।
- भुवः = परमात्मा जो सभी दुखों से मुक्त है उनका संग करने से सभी दुखों का नाश होते है।
- स्वः = जो श्रेष्ठ है स्वयंभू है जो संपूर्ण पृथ्वी को धारण किए हैं।
- तत् = ईश्वर के रूप।
- सवितु = पूरे जगत का रचयिता है।
- र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने हेतु सर्वश्रेष्ठ है।
- भर्गो = मन को शुद्ध और पवित्र करने वाला चेतना स्वरूप।
- देवस्य = परमात्मा स्वरुप जिसकी प्राप्ति साधु-संत से लेकर सभी प्राणी करना चाहते है।
- धीमहि = धारण करना
- धियो = बुद्धि
- यो = जो ईश्वर
- नः = हमारी
- प्रचोदयात् = प्रेरित करते रहें यानी कि अपने अंदर के अवगुणों को हराकर हमेशा बुरे कर्मों से दूर रहें और अच्छे कर्मों को करने की ओर प्रेरित हों।
गायत्री मंत्र का इतिहास
गायत्री मंत्र का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही लोग गायत्री मंत्र का प्रयोग करते आ रहे हैं। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने चारो वेदों से पहले ही गायत्री मंत्र की रचना की थी। इसलिए यह चारो वेदों से भी अधिक प्राचीन है। गायत्री मंत्र से प्रभावित होकर ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या, देवी गायत्री की कृपा मानकर अपने चारो मुखों से चारों वेद के रूप में की थी। शुरुआत में गायत्री मंत्र केवल देवताओं के लिए ही माननीय था, लेकिन बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपने कठोर तप से गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचा कर इसका प्रचार किया।
गायत्री मंत्र का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग गायत्री मंत्र को सबसे पवित्र और आत्मशांति मंत्र मानते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथो में ऐसी मान्यता है कि गायत्री मंत्र में चारो वेदों का सार समाहित है। इसी कारण शास्त्रों में लिखा गया है कि गायत्री मंत्र वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र है। गायत्री मंत्र में कुल 24 अक्षर हैं। इन 24 अक्षरों को सभी देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना जाता है। गायत्री मंत्र के इन 24 अक्षरों को हम वेदों और शास्त्रों के ज्ञान का भी आधार मानते है।
धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ गायत्री मंत्र के वैज्ञानिक महत्व भी हैं। गायत्री मंत्र का प्रारंभ “ॐ” शब्द से होता है। “ॐ” शब्द का उच्चारण करना वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है क्योंकि “ॐ” शब्द के उच्चारण से होंठ, जीभ, स्वर रज्जू और दिमाग में जो कंपन होता है, उसकी वजह से हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोन स्रावित होता है। इससे इंसान के शरीर में खुश रखने वाले हार्मोन्स रिलीज होते हैं।
गायत्री मंत्र के फायदे
धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से गायत्री मंत्र के अनेक फायदे हैं। गायत्री मंत्र के फायदे निम्नलिखित हैं:
- गायत्री मंत्र का जाप करने से पुण्य-फल में वृद्धि होती है और सभी कष्ट नष्ट होते हैं।
- लगातार इस मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव और नकारात्मक शक्ति भी दूर होती है।
- गायत्री मंत्र के उच्चारण से न केवल आत्मशांति होती है बल्कि इससे दिमाग संतुलित रहता है।
- गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से मानसिक विकारों जैसे अपना आपा खो देना, गुस्सा आना, पढ़ाई में मन न लगना जैसी परेशानियां भी दूर होती हैं।
- इस मंत्र का उच्चारण करने से हमारे आसपास सकारात्मक वातावरण जन्म लेता है और हम स्वतंत्र महसूस करते हैं।
- यह मनुष्य के अंदर सकारात्मक ऊर्जा भरता है और वह शारीरिक विकारों से लड़ने की क्षमता का अनुभव करता है।
- इस मंत्र के उच्चारण में लंबी सांस लेनी पड़ती है, जिससे फेफड़ा बहुत मजबूत होता है और रक्त का संचार भी बेहतर तरीके से होता है।
गायत्री मंत्र का जाप करने का सही समय
गायत्री मंत्र विश्व भर में कल्याण का एक महत्तम स्रोत है जिसकी उपासना स्वयं भगवान भी करते हैं। आप गायत्री मंत्र कभी भी कर सकते हैं, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इस नियमानुसार करना आवश्यक है।
गायत्री मंत्र का जाप करने का सही समय एवं सही तरीका इस प्रकार है:
- प्रातः काल उठते ही 8 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
- सुबह पूजा में बैठे हों, उस वक्त 108 बार इस मंत्र का उच्चारण करें।
- हमेशा घर से कहीं बाहर निकलते वक्त गायत्री मंत्र का उच्चारण करके निकलें।
- हर रोज रात में सोने के पहले गायत्री मंत्र का एक बार उच्चारण जरूर करें।
निष्कर्ष
हम उम्मीद करते हैं कि आज कि यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद रही होगी क्योंकि इस आर्टिकल में हमने गायत्री मंत्र का अर्थ, इतिहास, महत्व, फायदे एवं जाप करने के सही तरीके का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। गायत्री मंत्र में हमारे मानसिक विकारों को दूर करने की क्षमता होती है। इसलिए हर दिन गायत्री मंत्र का जाप करें और मानसिक विकारों से छुटकारा पाएं। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करें ताकि वे भी गायत्री मंत्र से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें। ऐसे ही जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल्स पढ़ सकते हैं।
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