सनातन संस्कृति का उभरता प्रतीक: राम मंदिर – जानें सबकुछ

सनातन संस्कृति का उभरता प्रतीक राम मंदिर - जानें सबकुछ

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्म भूमि अर्थात अयोध्या इन दिनों दुल्हन की तरह सज रही है, जिसका मुख्य कारण है अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर। हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक भगवान श्री राम के मंदिर को बनाने का संकल्प कई दशकों पुराना है, जो अब पूरा होने जा रहा है। इस मंदिर के विकास कार्य के शुरुआत से ही केवल अयोध्या में ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में लोगों का उत्साह दिखाई दे रहा है। इसका आध्यात्मिक महत्व भी बहुत अधिक है, जो हमारे मन में पवित्र भाव प्रज्वलित करती है।

आज हम बात करने वाले हैं अयोध्या राम मंदिर से संबंधित संपूर्ण जानकारी, जिसके अंतर्गत हम अयोध्या राम मंदिर के सनातन संस्कृति का उभरता प्रतीक कहलाने के प्रमुख कारणों के बारे में चर्चा करेंगे। इसके साथ ही इस मंदिर के इतिहास, महत्व, निर्माण, दर्शन का समय आदि से संबंधित जानकारी साझा करेंगे।

क्यों है अयोध्या राम मंदिर का महत्व?

अयोध्या राम मंदिर में स्थापित होने वाली श्री राम लला की प्रतिमा दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। अयोध्या राम मंदिर में श्री राम जी के बाल स्वरूप की मूर्ति की स्थापना की जा रही है। इसके साथ ही यह मंदिर पारंपरिक भारतीय विरासत वास्तुकला का मिश्रण भी है। इसके निर्माण में विज्ञान और वास्तुकला दोनों का मिश्रण दिखाई देता है। मंदिर को लंबे समय तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रखने के उद्देश्य से विज्ञान की मदद ली गई है।

अयोध्या अथर्ववेद के अनुसार ईश्वर का नगर है। संपन्नता के क्षेत्र में अधिक विकसित होने के कारण वेदों में अयोध्या की तुलना स्वर्ग से की गई है। इस कारण भी अयोध्या राम मंदिर का विशेष महत्व है। अयोध्या राम मंदिर में समारोह के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। उनके साथ ही 55 देशों के गणमान्य व्यक्ति भी आमंत्रित किए गए हैं।

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क्या है अयोध्या राम मंदिर का इतिहास?

अयोध्या नगरी की स्थापना काल ईसा पूर्व 2200 के आसपास मानी जाती है। भारतीय शास्त्रों और वेदों में भी अयोध्या का जिक्र सुनने को मिलता है। अथर्ववेद में भी इस नगरी का साक्ष्य देखने को मिला है। अयोध्या नगरी हमेशा से ही श्री राम की जन्म भूमि रही है। अयोध्या के धार्मिक इतिहास को हमने रामायण में पढ़ा है परंतु इस नगरी के इतिहास का एक पन्ना पूर्ण रूप से विवादित भी रह चुका है। जी हां, हम यहां पर बाबरी मस्जिद और इससे जुड़े कुछ घटनाओं की बात कर रहे हैं। 

अयोध्या का विवाद बाबरी मस्जिद से पूर्ण रूप से घिरा हुआ है। इसकी शुरुआत वर्ष 1528 में हुई थी जब बाबर के सेनापति मीर बाकी को बाबर ने यह आदेश दिया था कि अयोध्या में सभी मंदिरों को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाना होगा। वैसे तो बाबरी मस्जिद का मॉडर्न दस्तावेजों में काफी जिक्र देखने को मिलता है जैसे कि साल 1932 में छपी किताब ‘अयोध्या: ए हिस्ट्री’ में इसकी पूरी जानकारी मिलती है। लंबे समय के संघर्ष के बाद इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और अब जाकर इसका निर्माण कार्य पूरा होने जा रहा है।

कैसे खत्म हुआ हिंदू और मुसलमानों के बीच का विवाद?

लंबे समय के विवाद एवं संघर्ष के बाद 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या के इस विवादित भूमि से जुड़ा फैसला दिया। इसके मुताबिक यह बात सामने आई की लंबे समय से यह भूमि हिंदुओं की रही है और यहां राम मंदिर का निर्माण किया जा सकता है। हिंदुओं एवं मुसलमान के बीच भूमि को लेकर अनावश्यक झगड़े न हों, इसके लिए मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अलग जमीन दे दी गई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया, जिसमें सबूत दिखाई गई कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना मौजूद रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस न्याय के बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन का अनुष्ठान रखा गया, जो 5 अगस्त 2020 को पूर्ण हुआ। इस मंदिर की देखरेख एवं इसका निर्माण से संबंधित संपूर्ण जिम्मेदारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट उठा रही है। 22 जनवरी 2024 को इस मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा, जिसका प्रत्येक हिंदू बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

क्यों है अयोध्या राम मंदिर सनातन संस्कृति का प्रतीक?

राम मंदिर, अयोध्या

भगवान श्री राम सनातन संस्कृति के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। हिंदू धर्म में भगवान श्री राम के प्रति गहरी आस्था भी देखी जाती है, जो अपने आप में काफी महत्वपूर्ण एवं गौरवान्वित करने वाला है। सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीनतम धर्म है। लगभग 12,000 वर्ष पुराना यह धर्म आज भी हमें उतना ही गौरवान्वित महसूस करवाता है, जितना कि इसका महत्व दशकों पहले था। इसका वर्णन श्रीमद् भागवत गीता में भी मिलता है। अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है और इसकी भव्यता वाकई में देखने लायक है। इस मंदिर को बनाने के पीछे लंबे समय की संघर्ष रही है।

भारतीय सनातन संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान को काफी श्रद्धा एवं प्रेम भाव से संपूर्ण किया जाता है। ठीक इसी प्रकार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और इसके पूर्ण होने पर धार्मिक अनुष्ठान को भी लोग दीपावली के समान जोश से मनाएंगे। इस अनुष्ठान का लाखों लोग लाभ उठाएंगे एवं वे भगवान श्री राम के दर्शन प्राप्त करेंगे। अयोध्या राम मंदिर सनातन संस्कृति के प्रति के रूप में अनंत काल तक जाना जाएगा।

कैसी है अयोध्या राम मंदिर की संरचना?

राम मंदिर, अयोध्या

राम मंदिर के निर्माण का कार्य तेजी से बढ़ता जा रहा है। राम लला की मूर्ति की स्थापना का समय जैसे-जैसे निकट आ जा रहा है, भक्तों में उमंग बढ़ती ही जा रही है। रामलला की मूर्ति अपने आप में ही अनगिनत विशेषताएं दर्शाती है।

इस मंदिर से ऐसे कई तथ्य भी जुड़े हैं, जो धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। इस मंदिर के निर्माण में किसी भी स्थान पर लोहे की धातु का उपयोग नहीं किया गया है। राम मंदिर की पूरी डिजाइन गुजरात के सोमपुरा फैमिली ने बनाया है। इसके अलावा इस मंदिर के निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का उपयोग किया गया है।

क्यों है अयोध्या राम मंदिर की शैली खास?

राम मंदिर, अयोध्या

हम यदि अयोध्या राम मंदिर के शैली की बात करें तो अयोध्या राम मंदिर नागर शैली में तैयार किया गया है। मंदिर की संरचना के लिए यह शैली विशेष मानी जाती है और इस शैली से तैयार सभी मंदिरों की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। जब भी किसी मंदिर के संरचना की बात की जाती है, तो हम पाते हैं कि सभी मंदिरों की शैलियां अलग-अलग प्रकार की हैं।

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिन्हें नागर शैली में बनाया गया है। ये मंदिर वास्तव में सभी भक्तों के बीच आकर्षण का एक केंद्र बने हुए हैं। जैसा कि हमने बताया इस मंदिर का पूरा नक्शा नागर शैली को दर्शाता है, जो वास्तव में उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की तीन शैलियों से अपना संबंध रखती है। यह शैली पांचवीं शताब्दी के आसपास उत्पन्न भारत के कई क्षेत्रों में मंदिर वास्तुकला को प्रभावित करती हैं। उत्तरी भारत में मंदिर वास्तुकला की नागर शैली कई वर्षों से लोकप्रिय रही हैं।

उत्तरी भारत में ज्यादातर मंदिरों का निर्माण एक पत्थर के चबूतरे पर होता है एवं इन मंदिरों में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनाई जाती हैं। इस शैली के मंदिरों की एक प्रमुख विशेषता यहां की विस्तृत सीमा दीवारें एवं द्वारों की कमी होती है। इस तरह की शैली में गर्भगृह हमेशा सबसे उंचे टावर के ठीक नीचे स्थित होते हैं। इस तरह के मंदिर में शिखर पर स्थापित कलश सभी मंदिरों के शैली की विशेषता को दर्शाता है।

कैसे प्रेम और मित्रता का प्रतीक है अयोध्या?

अयोध्या राम मंदिर मुख्य रूप से भगवान श्री राम को केंद्रित करके बनाई जा रही है। इसलिए भगवान श्री राम के सभी संबंधों और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं भी महत्व रखती हैं। रामायण में हम दशरथ और श्री राम के बीच पिता-पुत्र भाव, तीनों माताओं के प्रति श्री राम के मन में आस्था, श्री राम और माता सीता के घनिष्ठ प्रेम की कथा, श्री राम और भरत के भ्रातृत्व को देख सकते हैं।

इसके साथ ही संपूर्ण रामायण में सबसे आवश्यक रहा है भगवान श्री राम और पवन पुत्र हनुमान के बीच की गहरी मित्रता। रामायण के अनुसार, युद्ध भूमि में लक्ष्मण को मेघनाथ द्वारा दिव्यास्त्र से प्रहार करने के बाद उनके मूर्छित हो जाने पर श्री राम अत्यंत व्याकुल हो गए थे। उनके प्राण बचाने हेतु हनुमान संजीवनी बूटी लेने पहुंच गए थे। इसी संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की जान बचाई गई। जो कि एक आयुर्वेदिक चिकित्सा का चमत्कार माना जाता है। 

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि आयुर्वेद का महत्व भारत प्राचीन काल से ही है। साथ ही समय-समय पर हर जगह यह रामबाण की तरह कारगार सिद्ध हुई है। 

आयुर्वेद विभिन्न रोगों के उपचार एवं स्वस्थ जीवन शैली के लिए इस्तेमाल की जाती आ रही है। यह उन सर्वोत्तम उपायों में से एक है, जो हमारे शरीर, मन एवं आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखते हुए कई लाभ पहुंचता है। इसके उद्देश्यों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना और शारीरिक रोगों से शरीर को लड़ने में मदद करना भी है। वर्तमान समय में लोगों में आमतौर पर शारीरिक और मानसिक तनाव के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिनके समाधान में आयुर्वेद बहुत कारगर है। आयुर्वेद मानव शरीर में बिना किसी पार्श्व प्रभाव के समस्याओं को दूर करने में सक्षम है।

क्या है अयोध्या राम मंदिर में निर्धारित की गई समय सीमा?

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा आयोजित की गई है। इसका समय 12:15 से 12:45 तक तक निश्चित किया गया है। यदि हम बात करें अयोध्या राम मंदिर में श्रद्धालुओं के आने और भगवान के दर्शन पाने के समय के बारे में तो बता दें कि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर सुबह 7:00 से 11:30 तक खुला रहेगा, जब वे भगवान के दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद दोपहर 2:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक दोबारा मंदिर भगवान के दर्शन के लिए खोले जाएंगे।

राम भक्त आसानी से इस समय प्रभु श्री राम के दर्शन कर सकेंगे। विभिन्न अनुष्ठान एवं समारोह के दौरान तीन दैनिक आरती समारोह का भी आयोजन होने वाला है, जिसका समय सुबह 6:30 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:30 बजे तय की गई है‌। सुबह 6:30 बजे श्रृंगार अथवा जागरण आरती का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद दोपहर 12:00 बजे भोग आरती एवं शाम 7:30 बजे संध्या आरती निश्चित की गई है।

निष्कर्ष: 

राम मंदिर केवल पत्थर से बने संरचना का नाम नहीं है। ये युगों की आस्था का प्रतीक है। ये 500 सालों की प्रतीक्षा का फल है। लिहाजा इसका भव्य होना सामान्य है। आप शायद विश्वास न करें मगर भारत के घरों में उनके ईश्वर के स्वागत के लिए रामायण धारावाहिक और राम-भजन चल रहें है। और उनके लिए 22 जनवरी दिवाली का दिन होगा। 

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