रामायण में उपायोग की गई संजीवनी जड़ी बूटी के जादुई रहस्य

संजीवनी जड़ी बूटी

रामायण में एक जादुई संजीवनी जड़ी बूटी का जिक्र किया गया है, जिसने लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे |

जब हनुमान जी ने वैद्य सुषेण (लंका में राक्षसों के चिकित्सक) से संजीवनी जड़ी बूटी का वर्णन पूछा था, तो उन्होंने इसे हिमालय के पास द्रोणागिरी पर्वत में पाई जाने वाली एक जादुई जड़ी बूटी के रूप में वर्णित किया, जो अंधेरे में चमकती है!

कई शोधकर्ताओं ने संजीवनी के गुणों से मिलती-जुलती जड़ी-बूटियों की कुछ प्रजातियां पाई हैं। इन उम्मीदवार प्रजातियों में सेलाजिनेला नामक एक प्रजाति है।

सेलाजिनेला बूटी परिवार में कई प्रकार के पौधे हैं जिनके बारे में कहा जाता है, कि वे विभिन्न बीमारियों के लिए अत्यंत चमत्कारी हैं।

अब इसकी तुलना हम रामायण की संजीवनी से करते हैं।

संजीवनी हिमालय की द्रोणागिरी पहाड़ियों में पाई जाती थी और सेलाजिनेला प्रजाति भी द्रोणागिरी में पाई जाती है | और यह हिमालय क्षेत्र के नज़दीक पाए जाते हैं।संजीवनी अंधेरे में चमकती है और सेलाजिनेला की कुछ प्रजातियां जैसे सेलाजिनेला उन्सिनाटा और सेलाजिनेला विल्डेनोवी भी अंधेरे में एक नीली चमक विकसित करती हैं।

लेकिन सेलाजिनेला की सभी प्रजातियां संजीवनी नहीं हो सकती हैं और इस प्रकार कई शोधकर्ता इसे सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसमें बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं जो गर्मी के झटके, पराबैंगनी किरणों की एपोप्टोटिक गतिविधियों और ऑक्सीडेटिव तनाव को ठीक कर सकते हैं। उक्त परिस्थितियों में व्यक्ति की कोशिकाएं मरने लगती हैं। कहा जाता है कि सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस एक व्यक्ति को तंत्रिका कोशिकाओं से गहरे तक चंगा करता है।

लेकिन क्या सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस किसी का जीवन वापस ला सकता है, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है। और क्या संजीवनी किसी मृत का जीवन वापस ला सकती है? रामायण में लक्ष्मण जी को ठीक करने के लिए सूर्य की पहली किरण से पहले संजीवनी जड़ी बूटी लाई जानी थी। अर्थात संजीवनी भी किसी मृत व्यक्ति को जीवित नहीं कर सकती | क्या यह सच नहीं है ?

सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस पर कई अध्ययन किए गए हैं और इसके कई औषधीय गुण सिद्ध हुए हैं। हालांकि, यह व्यापक रूप से औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। लेकिन हिमालय क्षेत्र के पास गोंड जनजाति के लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।

क्या यही रामायण में वर्णित संजीवनी है? या संजीवनी सेलाजिनेला की एक प्रजाति थी जो अब विलुप्त हो चुकी है? शायद संजीवनी आज भी इंसानों की पहुंच से दूर कहीं मौजूद है।

प्रश्न बहुत हैं, लेकिन ऐसी समानता इस बात का प्रमाण देती है कि रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं बल्कि सनातन धर्म का इतिहास है!

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