होली आयी रे! क्यूं अतरंगी और खास है भारत का ये त्यौहार?

भारत में हर साल हम सैकड़ों त्यौहार मनाते हैं। इसी कारण इसे ‘त्यौहारों का देश’ भी कहा जाता है। भारतीय जहां भी रहते हैं, वहां भारतीय त्यौहारों की झलक दिखाई पड़ ही जाती है। भारत में विभिन्न धर्म एवं जाति के लोग रहते हैं और सभी त्यौहार में पूरा भारत शामिल होता है।
भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में दीपावली, महाशिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी, बैसाखी, ओणम, क्रिसमस, ईद, पोंगल, रक्षाबंधन, रामनवमी आदि शामिल है। इनमें एक और त्योहार होली भी है, जिसका भारत में काफी महत्व है। फाल्गुन महीने के पूर्णिमा तिथि को भारतीय होली का त्यौहार मनाते हैं, जिसका पौराणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है।
आज हम बात करने वाले हैं भारत के इस त्योहार होली के अतरंगी और खास होने के विषय में। इसके साथ ही हम होली का महत्व, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं, होली का इतिहास, होली मनाने का तरीका और 2024 में होली का शुभ मुहूर्त आदि की चर्चा करेंगे।
होली पर्व का महत्व:
होली का त्योहार भारत में वसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है। यह प्रेम और उत्साह का त्यौहार है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व का काफी महत्व है। पौराणिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक महत्व रखने वाले इस त्यौहार को हम भारत में काफी धूमधाम से मनाते हैं।
होली का पौराणिक महत्व:
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद के साथ भगवान के अटूट प्रेम का प्रतीक है। राक्षसों का राजा हिरण्याकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान की भक्ति करने से रोकता था लेकिन प्रह्लाद के एक न सुनने के बाद राजा द्वारा यह फैसला लिया गया कि वह प्रह्लाद को मौत के घाट उतार देगा। इसके लिए उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली।
होलिका को वरदान में एक चमत्कारी चादर मिली थी, जिसके मुताबिक यदि वह उसे चादर को ओढ़ कर अग्नि में बैठ जाए तो अग्नि उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती थी। इसके बाद होलिका अपने भाई के कथानुसार भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई।
भगवान की कृपा ऐसी हुई और ऐसा तूफान आया कि चादर होलिका के ऊपर से हट गया और भक्त प्रह्लाद को ढक लिया। इससे भक्त प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। होलिका के अग्नि में जलकर भस्म हो जाने के बाद से ही हर साल होलिका जलाई जाती है और होली का त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए पौराणिक कथाओं में इसका विशेष महत्व है।
होली का सामाजिक महत्व:
होली का त्यौहार पौराणिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्व रखता है। होली के त्यौहार में लोग एक दूसरे को रंग और अबीर लगाते हैं। इससे आपसी भेदभाव और मतभेद दूर होता है।
होली के दिन लोग एक दूसरे के साथ रंग खेलते हैं, स्वादिष्ट मिठाइयां खाते हैं, अपने परिवार के बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं एवं खुश रहते हैं। इससे हमारे शरीर और मन पर भी बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिन लोग गलतफहमियां दूर कर एवं दुश्मनी भूल कर प्रेम से यह त्यौहार मनाते हैं।
होली के प्रकार:
भारत में होली के कई प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- फूलों की होली
- लठ्ठमार होली
- रंग और गुलाल की होली
- अंगारों की होली
- पत्थरों वाली होली
- उपलों के राख की होली
- लड्डुओं की होली
होली मनाने वाले देश:
यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत में होली काफी धूमधाम से मनाई जाती है। भारत के साथ-साथ कई देशों में लोग होली मनाते हैं। स्वीटजरलैंड, श्रीलंका, मॉरीशस, म्यांमार, मलेशिया, थाईलैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी होली मनाई जाती है।
त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी, कनाडा, गुयाना, नीदरलैंड, मलेशिया, फ्रांस और इटली के लोग भी होली मनाते हैं। बता दें कि सूरीनाम, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश में भी लोग होली का त्योहार मनाया करते हैं।
जानें सबकुछ- सनातन संस्कृति का उभरता प्रतीक: राम मंदिर
होली का इतिहास:

प्राचीन काल के विभिन्न पौराणिक कथाओं एवं परंपरा के आधार पर आज हम होली का त्यौहार मनाते हैं। जैसा कि हमने भक्त प्रह्लाद और होलिका दहन की कथा पढ़ी। यह होली मनाने का सबसे पुराना और मान्य कारण माना जाता है। इसके अलावा कुछ और कथाएं जुड़ी हैं, जो होली के इतिहास को संकेत करती है।
कामदेव और रति की कथा:
भगवान ब्रह्मा के पुत्र कामदेव और उनकी पत्नी रति का संबंध होली के त्योहार से है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार भगवान शिव अपने ध्यान में लीन थे। ये वो समय था जब पार्वती जी शिव को पाने की इच्छा लेकर उनके पास आयी थी। इस कारणवश ब्रह्मा के पुत्र कामदेव ने भगवान शिव का ध्यान भंग कर दिया था। इसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर दिया।
जब कामदेव की पत्नी रति ने यह सुना तब उन्होंने अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनके प्रार्थना के बाद भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। इसके बाद से ही वसंत ऋतु का आगमन हुआ और होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
राधा–कृष्ण और गोपियां:
होली का त्योहार भगवान श्री कृष्णा और उनके प्रेम को भी दर्शाती है। फुलेरा दूज पर भगवान श्री कृष्ण ने होली खेला था। भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ फूलों की होली खेल कर इसे एक अलग रूप भी दिया था। उसके बाद से लेकर आज तक ब्रज में भक्त फूलों की होली खेल कर होली मनाते हैं।
एक बार भगवान श्री कृष्ण ने बालपन में यशोदा मैया से पूछा था कि राधा का रंग गोरा है लेकिन मेरा रंग सांवला क्यों है। इस बात पर यशोदा मैया ने उन्हें रंग देते हुए कहा कि यह लो रंग और जाकर राधा के चेहरे पर लगा दो, तुम जिस रंग का उसे रंगोगे, वह उसी रंग की हो जाएगी। इसके बाद श्री कृष्ण ने राधा रानी और सभी गोपियों के साथ होली खेल कर इसकी शुरुआत की।
होली मनाने का तरीका:
होली का त्योहार बच्चों से लेकर बड़े तक मानते हैं। इस दिन बड़े भी इस कदर होली का आनंद उठाते हैं कि उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो कोई बच्चा होली के उत्सव में झूम कर नाच रहा है।
होली के दिन खास तौर पर लोग सुबह भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें रंग और अबीर चढ़ाते हैं। भगवान को अर्पित करने के बाद ही लोग अपने परिवार में एक दूसरे को रंग लगाते हैं। होली के दिन बच्चे सुबह से ही होली की तैयारी में लग जाते हैं और रंगों में सराबोर हो जाते हैं।
कई लोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ लोग जैविक उत्पादों की मदद से रंग तैयार करते हैं। लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर भी उन्हें होली की बधाई देते हैं। होली खेलने के बाद घर पर स्वादिष्ट मिठाइयां और व्यंजन भी बनते हैं। कई लोग मठरी और गुजिया जैसे व्यंजन बनाते हैं।
होली का शुभ मुहूर्त:
2024 में इस साल होली 25 मार्च 2024 को है। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को यह त्यौहार मनाया जाता है। इस साल 2024 में फाल्गुन पूर्णिमा का आरंभ 24 मार्च 2024 अर्थात रविवार 9:54 की सुबह को हो चुका है। इसका समापन 25 मार्च 2024 अर्थात सोमवार 12:29 को दोपहर तक है।
होली से मिलने वाली सीख:
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसमें हर बुराई और अहंकार का नाश होता है। होली का त्योहार नकारात्मकता पर सकारात्मक की विजय का भी प्रतीक है।
होलिका दहन होली का एक प्रमुख हिस्सा है। होलिका दहन के दिन हम पवित्र अग्नि जलते हैं, जिसमें हम अपने अंदर के हर बुराई का नाश कर देते हैं। होलिका दहन के बाद अगले दिन हम अपनों के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं। इस दिन हम अपने प्रियजनों के प्रति हर गलतफहमियों और दुश्मनी को भूला देते हैं और उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।
हम उनके साथ नाचते-गाते हैं और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ होली मनाते हैं। लाल, पीला, गुलाबी, हरा आदि रंगों से हम एक दूसरे को रंगीन कर प्रेम का बीज लगाते हैं। होली के त्योहार से हमें यही सीख मिलती है कि चाहे बुराई लाख कोशिश कर ले, अंत में जीत सच्चाई की होती है।
निष्कर्ष:
भारत में होली का त्यौहार काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के साथ-साथ विभिन्न देशों में जहां भारतीय रहते हैं वहां होली मनाई जाती है। यह त्यौहार लोगों के बीच प्रेम, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। होली के त्यौहार पर विभिन्न रंग हमारे जिंदगी में नयापन लाते हैं।
इससे हमारे जीवन में भी खुशियों का आगाज होता है। हालांकि होली हिंदुओं का त्यौहार है लेकिन भारत में अनेकता में एकता होने के करण हर जाति, धर्म, समुदाय और उम्र के लोग एक साथ होली मनाते हैं। इस कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। होली के दिन परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ धूमधाम से मनाएं।
- होली का महत्व क्यों है?
होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की और नकारात्मकता पर सकारात्मक की जीत का प्रतीक है। इसलिए इसका पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व है।
2. होली कब मनाई जाती है?
प्रत्येक साल होली का त्यौहार फाल्गुन महीने के पूर्णिमा को मनाई जाती है।
3. होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
होली का त्यौहार होलिका दहन के दूसरे दिन रंग और गुलाल लगाकर, मीठे व्यंजनों के साथ मनाया जाता है।
4. होली कितने प्रकार की होती है?
होली कई प्रकार की होती है, जिसमें फूलों की होली, लठ्ठमार होली, रंग और गुलाल की होली शामिल है।