सरवाइकल मुद्दों को समझना: कारण, लक्षण और उपचार

सरवाइकल

क्या आपकी गर्दन पीछे की तरफ दर्द होता है? कहीं आप भी रीड की एक खास जगह पर दर्द और टीस के कारण परेशान तो नहीं? अगर हां तो हो सकता है कि आप सर्वाइकल नाम की बीमारी से जूझ रहे हो। इसके बारे में पता न होने पर या आपको गंभीर समस्याएं दे सकता है। 

सर्वाइकल और आयुर्वेद में इसके प्रबंधन के बारे में जानकारी लेने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

सरवाइकल मुद्दों का परिचय: 

सर्वाइकल के मुद्दे अक्सर ही गर्दन के दर्द से जोड़े जाते हैं। हालांकि यह आमतौर पर रीड की हड्डी के जोड़ों में दर्द होने पर भी देखा जाता है। वैसे तो उम्र बढ़ाने के साथ-साथ या बीमारी बहुत ही आम है। बूढ़े लोगों में इसका संभावित खतरा सबसे ज्यादा होता है। पर आज के माहौल में कई छोटी उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। 

सर्वाइकल का दर्द ओस्टियोआर्थराइटिस के कारण होता है। यह गार्डन के पीछे की तरफ की हड्डियों की स्थिति में बदलाव आने के कारण होता है जिसकी वजह से रीड की हड्डियां भी प्रभावित होती हैं। ऐसी स्थिति में गार्डन में दर्द, सस्ती, सुजन, और सामान्य कार्यों को करने में रोगी को तमाम तकलीफों का सामना करना पड़ता है। 

आमतौर पर डॉक्टर और फिजिसिस्ट लोगों को एक्सरसाइज योग और कुछ अन्य दवाइयां को लेने के लिए कहते हैं। गौर करें कि यह तीनों ही तरीके बहुत ही कारगर है। मगर इसके साथ-साथ आपको उन आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में पता होना चाहिए जो बिल्कुल ही प्राकृतिक है और हो सकता है कि आपको दवाइयां का चंगुल से भी बाहर निकाल ले। 

सर्वाइकल स्पाइन की शारीरिक रचना:

सर्वाइकल क्षेत्र को समानता शरीर के हड्डी के गर्दन के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। मानव शरीर के संरचना का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमारी गर्दन को पीछे से मजबूती प्रदान करता है। यही हिस्सा हमारी गर्दन को अनेक दिशाओं में घूमने और लचकने में और स्थिर खड़े रहने में मदद करता है। 

साथ छोटी-छोटी हड्डियों से बनी हुई एक संरचना है। इस संरचना को मेडिकल साइंस में सर्वाइकल वर्टीब्रे कहा जाता है। यही छोटी-छोटी साथ हड्डियां एक-एक ऊपर रखी हुई होती हैं जो गर्दन को विभिन्न दिशाओं में गति करने के लिए मुक्त करती हैं। इस क्षमता के कारण ही हम गर्दन को आसानी से घूमा और अंततः संतुलन बना पाते हैं। 

हर एक सर्वाइकल वर्टीब्रा इंटरवर्टीब्रल डिस्क्स की एक परत अलग की हुई रहती है। और सर्वाइकल स्पाइन को बिना किसी रूकावट के चलने देती है। 

इसी सर्वाइकल स्पाइन में स्पाइनल कार्ड्स होते हैं। स्पाइनल कार्ड्स मस्तिष्क को शरीर के हर भाग से जोड़ने के घटक है। शरीर में मौजूद केंद्रीय तंत्रिका तंत्र मैं यह स्पाइनल कार्ड्स सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और इन्हीं के द्वारा हमें चलने, बैठने, संवेदना के होने, खतरे का आभास होने और और इनसे बचाव होता है

सरवाइकल समस्याओं के सामान्य कारण:

सर्वाइकल समस्याओं

साइकिल का दर्द अक्सर ही गर्दन और उसके आसपास के इलाकों में होता रहता है। या दर्द अक्षर तब होता है जब आप एक ही अवस्था में लंबे समय तक बैठे रहे। हालांकि इसके और भी कारण हो सकते हैं जो की निम्नलिखित है।

  1. गले पर दबाव का होना: 

अगर आप अभी देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहते हैं या ऐसे कार्य करते रहते हैं जिसमें गले पर दबाव बढ़ता है तो सावधान हो जाइए। या आपके सर्वाइकल स्पाइन को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है। 

  1.  अत्यधिक तनाव का होना: 

कभी-कभी मानसिक दबाव तनाव पैदा करते हैं। दुखदाई घटनाएं, काम की बहुत अधिकता, और कई तरह के मनोविकार होने पर आपको सर्वाइकल के दर्द का सामना करना पड़ सकता है। 

  1. बीमारियों का होना: 

कई बार देखा गया है की बीमारियो और संक्रमण होने पर सर्वाइकल में दर्द रहने की शिकायत बढ़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने आप को स्वस्थ रखने के सारे प्रयास करें। 

  1. वायुमंडलीय दबाव: 

चकित ना हो। कई बार वायुमंडल में बदलाव के कारण हवा का दबाव बढ़ जाता है। इस कारण वर्ष भी कई बार प्राकृतिक तरीके से आपको सर्वाइकल में समस्या आ सकती है। 

  1. गले पर चोट लगना: 

उसके आसपास के इलाके में चोट लगने से सर्वाइकल के हिस्से में संभावित खतरे की संभावना होती है। बेहतर है कैसे किसी भी खतरे से बचकर रहा जाए। 

  1. भारी वजन उठाना: 

अचानक से किसी भारी वजन को उठाने पर आपके गर्दन उसके आसपास के इलाकों में दर्द हो सकता है। 

  1. सोते समय ऊंचे तकिये का इस्तेमाल करना: 

सोते वक्त अगर आप पूछे तकिया का इस्तेमाल करते हैं तो निकट भविष्य में आपको सर्वाइकल में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

सर्वाइकल समस्याओं के लक्षण:

सर्वाइकल में समस्या मुकता दर्द और अकड़न की शिकायत है। इसका मतलब यह कि अगर आप अपने गार्डन के पीछे और उसके आसपास के हिस्सों में दर्द का अनुभव कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपको सर्वाइकल की समस्या है। 

निम्नलिखित कुछ और भी लक्षण है जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए। 

  • गर्दन में जकड़न होना।
  • गर्दन के आसपास की मांसपेशियों में दर्द रहना
  • बार-बार सर दर्द होना
  • जी मचलना
  • हाथ पैरों में अक्सर झनझनाहट होना
  • हाथ बाजू में कमजोरी महसूस करना
  • गर्दन घुमाने पर आवाज करना

सर्वाइकल समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: 

  1. मार्जरासन:  

मार्जरासन सरल योग की श्रेणी में आता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव मानव शरीर के रीड की हड्डियों में पड़ता है। रोज से करने से आपके शरीर की हड्डियां लचीली हो जाती हैं। दर्द से छुटकारा मिलता है और पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती है। 

विधि: 

  • अपने घुटनों और हाथों के बाल अपने शरीर को संतुलित करें। 
  • फिर रीड की हड्डी को ऊपर की ओर ले जाए। फिर उसे नीचे की ओर ले आए। 
  • इसे 5 10 बार हर दिन दोहराएं। 
  1. सेतु बंधासन (ब्रिज पोज़): 

रीड की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए यह दूसरी कारगर मुद्रा है। इसे करने से तनाव कम होता है, छाती फूलती है, पीठ दर्द कम होता है,‌ और हड्डियां लचीली बनती हैं। साथी या पाचन तंत्र में सुधार करता है। 

विधि:

  • पीठ के बल लेट जाएं। 
  • अपने घुटनों को मोड़े, पैर को सपाट रखें, और अपने हाथों को शरीर के बगल में रखें। 
  • अब हाथों का सहारा लेकर अपने स्कूलों को ऊपर उठाएं। 
  • फिर धीरे से नीचे आ जाए। 
  1. भुजंगासन (कोबरा मुद्रा): 

भुजंगासन आपके शरीर की हड्डी को मजबूत और लाचीला करता है। साथी यह आपके सीने और कंधे को खोलना भी है। 

विधि:

  • अपने पेट के बल लेटकर पैरों को सीधा कर ले। 
  • अपने हाथों को अपनी छाती के समानांतर सटाकर रखें।
  • धीरे से दबाव देकर छाती को ऊपर उठाएं। 
  • अपने सर को पीछे झुकाए और छाती को बाहर निकाले। 
  1. गर्दन के खिंचाव के साथ सुखासन: 

इसके लिए पहले तो सुखासन की अवस्था में बैठ जाए। अब अपने गार्डन को हल्के खिंचाव के साथ आगे पीछे करें। गर्दन को एक नियमित रूप से घूमाने पर लाभ पहुंचता है। 

  1. बच्चे की मुद्रा (बालासन): 

आराम देने वाली बच्चों की मुद्रा पीठ को भी काफी सहायक है। गौर करें कि योग करने में शरीर को आराम मिलता है। 

विधि:

  • अपने घुटनों पर बैठ जाए और पंजों को जमीन पर सटाकर रखें। 
  • अपने हथेलियां को पैरों के आगे रखें। 
  • अपने सर को घुटनों के बीच में रखें और सांस लेते हुए पेट को अंदर खींचे। 

रोकथाम और जीवनशैली युक्तियाँ:

  1. अपने रोजमर्रा की जिंदगी के बीच में हमेशा अच्छी मुद्रा को बनाए रखें। 
  2. गर्दन के नियमित व्यायाम और स्ट्रेच करते रहे जिससे आपकी गर्दन की लचक बनी रहे। 
  3. रात को सोते वक्त उचित तकिए और गद्दे का प्रयोग करें। 
  4. लंबे समय तक बैठने और खड़े रहने से बचें। साथी बेतरतीब तरीकों से सोने से भी बचे। 
  5. ड्राइविंग करते वक्त अपने आराम और गाड़ी के साथ संतुलन का ख्याल रखें।

निष्कर्ष:

सर्वाइकल एक आम बीमारी है जो बढ़ती उम्र के साथ अक्सर देखी जाती है। पर हाल के कुछ वर्षों में इसका प्रभाव अप्रायश्चित रूप से बच्चों में भी देखने को मिला है। मुकता इसका कारण हमारी आज की बिगड़ी हुई जीवनशैली है। 

हमने इस आर्टिकल में सर्वाइकल की समस्याओं को चिन्हित किया है और यह भी बताया है कि आप इसे कैसे छुटकारा पा सकते हैं। 

ऊपर दिए गए नेचुरल आयुर्वैदिक तरीकों को आज से ही अपना शुरू करें। आपको यकीन इसका चमत्कारिक लाभ मिलेगा।

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