स्वर्ण प्राशन: बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य और विकास के लिए आयुर्वेदिक अमृत

स्वर्ण प्राशन

भारतीय संस्कृति में हम नए जन्मे बच्चे का स्वागत 16 संस्कारों के साथ करते हैं। इन संस्कारों में स्वर्ण प्राशन (swarna prashan) का संस्कार भी शामिल है, जो बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक होता है। इसे शहद और हर्बल औषधि से युक्त घृत से बनाया जाता है।

कश्यपसंहिता में वर्णित 3 हज़ार वर्ष पुराने आयुर्वेदिक टीकाकरण के रूप में स्वर्ण प्राशन का नाम शामिल है। इसलिए इसका ऐतिहासिक महत्व भी अधिक है। अपने शिशु के संपूर्ण विकास के लिए यह आवश्यक है कि हम स्वर्ण प्राशन का संस्कार अवश्य करवाएं। 

आधुनिक जमाने में परन्तु हम धीरे-धीरे स्वर्ण प्राशन की संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। इसलिए आज हम स्वर्ण प्राशन से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपके साथ शेयर कर रहे हैं, जिससे आप इसके बारे में विस्तार से जान सकेंगे और अपने बच्चों को स्वर्ण प्राशन के साथ स्वस्थ जीवन प्रदान कर सकेंगे।

स्वर्ण प्राशन क्या है? (What is Swarna Prashan?)

आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित स्वर्ण प्राशन एक ऐसा रसायन है, जिसमें स्वर्ण भस्म, शहद और घी मिले होते हैं। आयुर्वेदिक औषधियों जैसे ब्राह्मणी, अश्वगंधा, गिलोय, शंखपुष्पी, वचा जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर इसे तैयार किया जाता है।

प्राचीन काल से बच्चों के संस्कारों के एक हिस्से के रूप में इसका उपयोग किया जाता आ रहा है। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में काफी मदद करता है, जिससे बच्चे हष्ट-पुष्ट और बुद्धिमान बनते हैं। उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

स्वर्ण प्राशन के आयुर्वेदिक लाभ (Ayurvedic Benefits of Swarna Prashan): 

स्वर्ण प्राशन में भरपूर मात्रा में आयुर्वेदिक औषधियां मौजूद होती हैं। इसलिए आयुर्वेद में इसके लाभों का वर्णन किया गया है। इसके आयुर्वेदिक लाभ निम्नलिखित हैं –

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: स्वर्ण प्राशन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे उन्हें सामान्य संक्रमणों से सुरक्षा मिलती है और वे स्वस्थ रहते हैं। इससे बच्चों में रोगों को दूर भगाने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। 
  • मस्तिष्क विकास में सुधार: बच्चों के स्मरण शक्ति, बुद्धिमत्ता, और एकाग्रता में स्वर्ण प्राशन काफी सुधार करता है। यह उन्हें तीव्र बुद्धि प्रदान करता है। 
  • पाचन में सुधार: बच्चों में कई बार पाचन संबंधित समस्याएं देखने को मिलती हैं, जो उन्हें काफी पीड़ित करती है। इसलिए स्वर्ण प्राशन पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है।
  • शारीरिक शक्ति को बढ़ाना: बच्चों के विकास के लिए उनकी हड्डियों, मांसपेशियों, और समग्र शारीरिक विकास आवश्यक होता है। स्वर्ण प्राशन इन्हें मजबूत बनने में मदद करता है।
  • मौसमी बीमारियों से बचाव: मौसमी बीमारियों के कारण बच्चों का बीमार पड़ना स्वाभाविक है। इसलिए स्वर्ण प्राशन उन्हें एलर्जी, सर्दी, और खांसी के खतरे से बचाता है।

स्वर्ण प्राशन संस्कार (Swarna Prashan Sanskar): 

बच्चों के जन्म के बाद उनके अंदर जन्म संस्कार के अलावा दूसरे संस्कार लाने के लिए कुल 16 संस्कार किए जाते हैं। यह उनके बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए होते हैं। स्वर्ण प्राशन भी इन संस्कारों में से एक है।

स्वर्ण प्राशन साधारणतया किसी भी दिन किया जा सकता है लेकिन इसे खास तौर पर पुष्य नक्षत्र के समय करना अधिक लाभदायक माना जाता है। सूर्योदय होने पर स्वर्ण प्राशन बच्चों को खाली पेट में चटा दिया जाता है। इसके बाद 6 घंटे तक उनके मुंह में कोई निवाला नहीं दिया जाता है। आप इसे रोजाना, मासिक या विशेष शुभ दिनों पर भी दे सकते हैं।

स्वर्ण प्राशन के वैज्ञानिक लाभ (Scientific Benefits of Swarna Prashan): 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्वर्ण प्राशन के उपयोग का समर्थन करने वाले अध्ययनों के कई उल्लेख मौजूद हैं।‌ इसमें आयुर्वेदिक और ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रमाणित किया गया है।

कर्नाटक के हसन स्थित एस.डी.म कॉलेज ऑफ़ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल द्वारा एक अध्ययन किया गया, जिसमें इसके लाभ प्रमाणित हुए। शोध के बाद इससे संक्रमण में 50-66% की कमी और नींद की गड़बड़ी में 69.5% सुधार देखा गया।

स्वर्ण प्राशन में मौजूद स्वर्ण भस्म में आयरन, सिलिका, कैल्शियम, कॉपर, पोटैशियम जैसे तत्व मौजूद होते हैं। वहीं इसमें मौजूद शहद में कैलोरी, राइबोफ्लेविन और घी में विटामिन ए, ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि होते हैं। ये तत्व बच्चों के स्वास्थ्य में योगदान करते हैं।

स्वर्ण प्राशन का सही तरीका (Correct Method to Administer Swarna Prashan): 

स्वर्ण प्राशन का सही तरीका

बच्चों को स्वर्ण प्राशन देते समय इसके सही तरीके के बारे में पता होना आवश्यक है। इस समय बच्चों की उम्र के अनुसार स्वर्ण प्राशन की मात्रा के बारे में जानना जरूरी है।

  • उम्र: स्वर्ण प्राशन बच्चे के जन्म से लेकर उनके 18 वर्ष की आयु तक करवाए जाते हैं।
  • मात्रा: जन्मजात शिशु से लेकर 1 वर्ष तक के शिशु को स्वर्ण प्राशन की दो बूंदें दी जाती है। वहीं 1 वर्ष से 16 वर्ष के बच्चे को इसकी 4 बूंदे दी जानी चाहिए।
  • सावधानियाँ: स्वर्ण प्राशन देने से पहले उपवास करना आवश्यक है, जिससे बच्चे अधिक लाभान्वित होते हैं।

स्वर्ण प्राशन और अन्य आयुर्वेदिक उपाय (Swarna Prashan and Other Ayurvedic Remedies): 

स्वर्ण प्राशन अन्य आयुर्वेदिक स्वास्थ्य पूरक की तुलना में विशिष्ट है। यह बच्चों में बुद्धि, पाचन और चयापचय की क्षमता को मजबूत बनाता है। यह उनमें प्रतिरक्षा और प्रजनन क्षमता में भी सुधार करता है।

बच्चों के समग्र विकास के लिए संतुलित आहार के साथ स्वर्ण प्राशन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्वर्ण प्राशन के साथ संतुलित आहार का संयोजन बच्चों के विकास के लिए आवश्यक होता है।

स्वर्ण प्राशन के संभावित दुष्प्रभाव (Potential Side Effects of Swarna Prashan)

स्वर्ण प्राशन बच्चों के लिए आयुर्वेदिक बूस्टर की तरह काम करता है लेकिन कई बार इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। सोने की मौजूदगी के कारण इससे बच्चों पर कई बार प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

स्वर्ण प्राशन शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। वे बच्चों के शारीरिक क्षमता को देखते हुए स्वर्ण प्राशन की सलाह देते हैं। जांच के बाद आप बेफिक्र होकर अपने बच्चों को स्वर्ण प्राशन दे सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आयुर्वेद में बच्चों के अंदर संस्कार लाने एवं उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए स्वर्ण प्राशन का उल्लेख है। आयुर्वेदिक औषधियों की मौजूदगी के कारण इसके आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक लाभ बहुत अधिक हैं। आधुनिक पालन-पोषण में अपने बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए स्वर्ण प्राशन को शामिल करें। किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेकर बच्चे की शारीरिक स्थिति की जांच करवाएं और इसे उनके स्वास्थ्य रूटीन में शामिल करें। आयुर्वेद सही है

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