राजाओं के ज़माने की आयुर्वेदिक औषधियां: जानिए उनके सेहत के राज

भारत में आयुर्वेद का इतिहास आज से हजारों वर्ष पुराना है। हजारों वर्षों से लोग जीवन को बेहतरीन ढंग से जीने के लिए आयुर्वेद का प्रयोग करते आए हैं। यहां तक की भारतीय सम्राट और राजा-महाराजा अपनी लंबी आयु के लिए आयुर्वेद का उपयोग करते थे। राजाओं की पारंपरिक औषधियों और जीवन शैली के कारण ही शरीर मजबूत, बुद्धि तेज और आयु दीर्घ होती थी।
यहाँ हम राजमहल में आयुर्वेद की भूमिका, राजाओं द्वारा उपयोग की जाने वाली औषधियां, शाही हर्बल नुस्खे और वैलनेस रूटीन और आयुर्वेदिक औषधियां का वर्तमान जीवन शैली में महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
राजमहलों में आयुर्वेद की भूमिका

वैद्यराजों का महत्त्व:
भारतीय राजघराना में प्राचीन काल से ही वैद्यराजों का महत्त्व बहुत अधिक है। हर एक राजमहल में राजवैद्य होते थे। यह राजा के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर आहार की सलाह देते थे। ये केवल बीमारी का इलाज नहीं बल्कि उनकी रोजमर्रा के जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखते थे। राजवैद्य राजाओं की सेहत और राज्य की स्थिति के हिसाब से राजा के दिनचर्या और औषधियां को बनाते थे।
शाही रसोई और हर्बल उपचार:
राजा की रसोई को बनाते समय सेहत को ध्यान में रखा जाता था। भोजन के रूप में विभिन्न औषधीय मसाले जैसे हल्दी, तुलसी, इलायची, दालचीनी इत्यादि का प्रयोग होता था। ठंडा के समय में विशेष प्रकार के व्यंजन जैसे काढ़े और लड्डू बनते थे जिसमें औषधीयो को शामिल करते थे।
रोज़ाना की जीवनशैली में जड़ी-बूटियों का प्रयोग:
राजा रोज सुबह को जल्दी उठ जाते थे और हर्बल स्नान लेते थे। हर्बल स्नान से पहले वह सूर्य प्रणाम करते थे। स्नान के बाद में तेल मालिश और योग किया करते थे। उनकी रोजमर्रा के जीवन में अश्वगंधा, ब्राह्मी और त्रिफला जैसी जड़ी बूटियां शामिल थी।
प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधियां जो राजाओं द्वारा उपयोग की जाती थीं:

अश्वगंधा – ताकत और वीर्यवर्धक
अश्वगंधा का प्रयोग प्राचीन काल से ही राजाओं के सेहत के लिए किया जाता था। अश्वगंधा के उपयोग से मांसपेशियां मजबूत होती है। यह वीर्यवर्धक होता है। राजा ऊर्जा के लिए इसका सेवन करते थे।
शिलाजीत – ऊर्जा और जीवन शक्ति के लिए
शिलाजीत एक गाढ़ा द्रव्य है जिसे हिमालय की चट्टानों से निकाला जाता है। इसका उपयोग सहनशक्ति, ऊर्जा शक्ति, और ऊर्जा शक्ति को बढ़ाने में किया जाता है। यह टॉनिक पुरुषों के लिए सर्वोत्तम है।
च्यवनप्राश – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
च्यवनप्राश को चवन ऋषि द्वारा बनाया गया है। 40 से अधिक जड़ी बूटियां को मिलाकर च्यवनप्राश बनता है। यह रोगों से रक्षा करता है। दीर्घायु के लिए कई वर्षों से इसका प्रयोग होता है।
ब्राह्मी – मानसिक शक्ति और याददाश्त के लिए
कई आयुर्वेदिक औषधियां मस्तिष्क के विकास को बढ़ाती है एवं स्मरण शक्ति को मजबूत करने में मदद करती है। ब्राह्मी की मदद से मस्तिष्क शांत होता है। स्मरण शक्ति को बढ़ाने में यह मदद करती है। राजाओं को रणनीति बनानी पड़ती थी, इसके लिए ब्राह्मी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
त्रिफला – पाचन और डिटॉक्सिफिकेशन के लिए
त्रिफला तीन महत्वपूर्ण तत्वों से मिलकर बना हैं यह हरड़, आंवला और बहेड़ा है। इसके सेवन से पाचन शक्ति मजबूत होती है। शरीर के विषैला तत्वों को निकलने में सहायक है। त्वचा की निखार के लिए भी त्रिफला का उपयोग होता है।
राजाओं के खास हर्बल टॉनिक और नुस्खे
विशेष शहद, केसर, और घी आधारित टॉनिक:
राजाओं के लिए एक विशेष प्रकार का टॉनिक बनाया जाता था। इस टॉनिक को बनाने के लिए देशी घी, जड़ी बूटियां, केसर और बादाम का प्रयोग होता था। यह शरीर में ऊर्जा के प्रदान करता है तथा मानसिक तनाव को दूर करता है।
हर्बल वाइन (आसव/अरिष्ट) का सेवन:
किसी खास मौके पर राजवैद्य हर्बल से निर्मित अरिष्ट या आसव बनाते थे। मन और पाचन का संतुलन बनाए रखने के लिए औषधि शराबे बनती थी। प्राचीन आयुर्वेद में इसका वर्णन किया गया है।
मौसमी रोगों के लिए खास उपचार:
मौसम बदलने के साथ-साथ राजवैद्य राजाओं को विभिन्न औषधीयों की सलाह देते थे। पंचकर्म का सेवन वर्षा ऋतु में, त्रिफला का सेवन शरद ऋतु में और च्यवनप्राश को ठंडी में प्रयोग करते थे।
शाही पंचकर्म और वेलनेस रूटीन

शरीर शुद्धि (डिटॉक्स):
अपने शरीर की शुद्धि के लिए राजा पंचकर्म जैसे की वमन, विरेचन, बस्ती, रक्त मोशन और नस्य करते थे। शरीर को रोग से दूर रखने के लिए और शरीर की शुद्धि के लिए पंचकर्म करते थे।
नियमित तेल मालिश और स्नेहन:
रक्त संचार को बढ़ाने तथा मांसपेशियों की ताकत के लिए राजा ब्राह्मी तेल, तील तेल या नारायण तेल से मालिश करते थे।
ध्यान और प्राणायाम:
मानसिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए ध्यान और प्राणायाम करने का तरीका काफी पुराना और उतना ही अधिक असरदार भी है। प्रारंभ में भारतीय राजा प्राणायाम, ध्यान और योग करते थे। इससे उन्हें शारीरिक विकास में काफी मदद मिलती थी।
क्या आज भी वही औषधियां उपयोगी हैं?
बढ़ती आधुनिकता और नए-नए औषधियों का आविष्कार होने के बाद हमारे मन में प्राचीन आयुर्वेद और औषधियों के प्रति शंका पैदा होना स्वाभाविक है लेकिन आयुर्वेदिक औषधीय के महत्व को कम आंकना सही नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि हमारे पूर्वज एक तरफ जहां इन औषधियों पर इतना भरोसा करते आ रहे थे, क्या वे औषधी अभी भी हमारे लिए उतने ही असरदार हैं? आइए हम इसके बारे में और अधिक जानते हैं।
आधुनिक जीवन में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का महत्त्व आज भी उतना ही अधिक है जितना लाखों वर्षों पहले हुआ करता था। इसका इस्तेमाल कर कई असरदार औषधीय बनाई जाती हैं जिनसे भयंकर बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों जैसे अश्वगंधा, तुलसी, शतावरी, गुलबहार, नीम, आंवला, कुटकी, कुठ, जटामांसी, गिलोय, कालमेघ, स्टीविया, अशोक, सर्पगंधा, आंवला, मुलेठी आदि के मिश्रण से कई ऐसी औषधियां तैयार की जाती हैं, जिनका इलाज कई बड़े और भयंकर बीमारियों को दूर करने के लिए होता है। आयुर्वेद में वर्णन किए गए इन जड़ी बूटियों का वैज्ञानिक प्रमाण भी है। इसलिए आयुर्वेद को अपने जीवन में अपनाएं और स्वस्थ जीवन जिएं।
निष्कर्ष
प्राचीन काल में हम जिन राजाओं, महाराजाओं और सम्राटों की गाथा सुनते हैं और राजाओं की सेहत, साहस और बलशाली स्वरूप का वर्णन करते हैं, इसके पीछे कोई रहस्य नहीं था बल्कि यह आयुर्वेद का चमत्कार था। आज भी आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां से तैयार औषधियों का इस्तेमाल कर अपने जीवन को सुखद और स्वस्थ बना सकते हैं।