वजन कम करने के लिए 5 आयुर्वेदिक डाइट टिप्स,
अगर आप फास्टिंग या खाना स्किप करने की वजह से तेजी से वजन कम करने लगे हैं, तेजी से वजन कम होना और कुछ और हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे दिल की धड़कन का तेज होना, ज्यादा स्ट्रेस, कंपकंपी या अनिद्रा, सभी एक थायरॉयड हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण हैं. सीलिएक: सीलीएक बीमारी क्रोहन रोग, लैक्टोज और आंतों की क्षति जैसी स्थितियों के कारण वजन कम होने का खतरा होता है. जो कुपोषण का कारण बनते हैं
हजारों साल से हमारे पूर्वज आयुर्वेदा पद्धति से इलाज (Treatment with ayurveda method) कराते आ रहे हैं। आयुर्वेद से इलाज के कारण ही वे लंबे समय तक तंदुरुस्त और स्वस्थ रहे।
पहले के समय में एलोपैथिक दवाइयां नहीं आती थीं। आयुर्वेद से ही बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता था। आज समय बदला है, आयुर्वेदिक दवाइयों की जगह एलोपैथिक दवाइयां (Allopathic medicines) ने ले ली है। लेकिन आज भी लोग आयुर्वेद को ही पसंद करते हैं।
इनके साथ नीचे दी हुई विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी या औषधि (Herbs or Medicines) का भी इस्तेमाल भी आप डेली रूटीन में किसी न किसी तरह करते हैं।
- लौंग
- तुलसी (Basil)
- शिलाजीत (Shilajit)
- गिलोय (Giloy)
- सफेद मूसली (Safed musli) आदि।
अगर वजन कम करने की बात करें तो यह कुछ लोगों के लिए कठिन होता है। क्योंकि वेट लॉस के लिए हेल्दी डाइट, वर्कआउट, प्रॉपर नींद आदि की जरूरत होती है।
कुछ लोग कमजोर मेटाबॉलिज्म यानी प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी वजन कम नहीं कर पाते। ऐसे लोग वजन कम करने के लिए आयुर्वेदिक डाइट अप्रोच (Ayurvedic approach to weight loss) का सहारा भी ले सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य का विशेष प्रकार का दोष होता है और उनमें से कुछ प्रकार दोष वजन बढ़ने की संभावना अधिक कर देते हैं।
वजन बढ़ने का आयुर्वेदा में क्या कारण बताया गया है। यह आप इस आर्टिकल में जानेंगे। लेकिन इससे पहले वजन बढ़ने के कारण को आयुर्वेद के मुताबिक समझें।
आयुर्वेद के अनुसार ऐसे लोगों का बढ़ता है वजन (According to Ayurveda, these people gain weight)
आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष (kapha dosha) वाले लोगों का वजन अधिक होने की संभावना रहती है। कफ दोष वालों का मेटाबॉलिज्म कमजोर (Weak metabolism) होता है। कफ दोष की अधिकता ही वजन बढ़ने का कारण होती है। वजन घटाने के लिए कफ दोष को कम करना जरूरी होता है।
आयुर्वेद में 8 प्रकार के शरीर बताए गए हैं। इन्हें आमतौर पर अस्वस्थ (Unhealthy) माना जाता है। इन 8 प्रकारों में बमुश्किल या अत्यधिक फैट वाले लोग होते हैं, जिन्हें एनोरेक्सिया या मोटे शरीर (Anorexia or obese bodies) के रूप में भी जाना जाता है। उन लोगों की बीमारी सबसे अधिक अतिसंवेदनशील (Most susceptible to disease) होती है।
एनोरेक्सिया या मोटापे का सामान्य कारण खाने के नियमों (Eating rules) का पालन न करना है। कफ दोष को कम करने के लिए आपको कुछ टिप्स फॉलो करने चाहिए, जो कि आयुर्वेद में बताए गए हैं।
1. कफ पेसिफाइंग डाइट खाएं (Eat kapha-pacifying diet)
आप समझ चुके हैं कि कफ दोष के कारण इंसान का वजन बढ़ जाता है और आप आलसी भी हो जाते हैं। साथ ही यह मेटाबॉलिज्म कम कर देता है और तरह-तरह की बीमारियां भी पैदा कर देता है।
यह दोष वाटर रिटेंशन (Water retention) का भी कारण बनता है, जिससे इंसान फूला हुआ लगता है। इस दोष को कम करने के लिए कफ पेसिफाइंग डाइट लेने की जरूरत होती है। इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और मेटाबॉलिज्म बढ़ता है।
इसके लिए क्लीन और हेल्दी डाइट लें। यह जानना जरूरी है कि वजन कम करने के आयुर्वेदिक तरीके का मतलब यह नहीं कि आपको अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों का सेवन छोड़ना होगा। बल्कि आपको हेल्दी और बैलेंस डाइट लेना होगी। इस प्रक्रिया में समय लगता है लेकिन यह कफ दोष को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
2. खूब पानी पिएं (Drink plenty of water)
1-2 गिलास गर्म पानी के साथ सुबह में नींबू का रस पीना बेहतरीन तरीका है। यह पूरे पाचन तंत्र को सही रखने (Boost digestive system) के साथ ही बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करेगा (help your body to detox)। साथ ही दिमाग एवं शरीर को किक देगा (revive your mind and body)।
इसके अलावा ओवर हेल्थ सही रखने के लिए दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को प्रभावी रूप से बाहर निकालने में मदद करेगा। रोजाना कितने गिलास पानी पीना चाहिए..! (How much water you need to drink in hindi) यह जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। आयुर्वेद भोजन के तुरंत बाद या पहले पानी पीने की सलाह नहीं देता है।
3. मौसमी फूड खाएं (Eat seasonal food)
मौसमी फल और सब्जियां (Seasonal fruits and Green vegetables) खाएं, जो वजन घटाने की प्रोसेस को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। साथ ही इससे शरीर को एनर्जी भी मिलती है।
फल और सब्जी कैलोरी में काफी कम होते हैं। लेकिन वो फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट (Fibre and antioxidants) में हाई होते हैं। ये किसी भी बीमारी के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।
शरीर को मौसम के मुताबिक फूड की जरूरत होती है। इसलिए विभिन्न मौसम के अनुसार मौसमी फलों और सब्जियों को अपने आहार का हिस्सा बनाना जरूरी है।
आयुर्वेद का मानना है यदि आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको कुछ समय के लिए नॉनवेज, हैवी फूड से दूर रहना होगा।
Read in Hindi -मोटापा को कम करने के कारगार उपाय
4. पर्याप्त आराम और एक्सरसाइज (Get adequate rest and exercise)
आयुर्वेद में नींद और एक्सरसाइज पर जोर दिया गया है। पर्याप्त नींद लेना उतना ही जरूरी है जितना फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करना।
आयुर्वेद में सलाह दी गई है कि आपको सप्ताह में कम से कम तीन दिन एक्सरसाइज करनी चाहिए। हर किसी का शेड्यूल अलग होता है और दिन में वर्कआउट करना संभव नहीं होता है। लेकिन 15-20 मिनट की एक्सरसाइज भी हार्ट रेट को बढ़ा सकती है। यह रूटीन आने वाले समय के लिए फायदेमंद रहेगा।
आयुर्वेद कहता है 6-10 am या pm के बीच का समय एक्सरसाइज के लिए अच्छा होता है। इसलिए इन समय के अंदर एक्सरसाइज करें और कम से कम 7-8 घंटे का आराम करें।
5. 3 मील्स प्रतिदिन लें (Three meals per day)
आयुर्वेद प्रतिदिन 3 मील लेने की सलाह देता है। आयुर्वेद के मुताबिक स्वस्थ नाश्ता सुबह 7:30 से 9:00 बजे के बीच, दोपहर का भोजन (यह आपका सबसे बड़ा भोजन होना चाहिए) 11:00 बजे से 2:00 बजे के बीच और 5:30 बजे से 8:00 बजे के बीच हल्का डिनर लेना बताया गया है। इसका मतलब है आयुर्वेद में कई तरह के भोजन की सलाह नहीं दी जाती है, जो कि आजकल ट्रेंड में बना हुआ है।
निष्कर्ष (Conclusion) :
आप समझ गए होंगे कि आयुर्वेद में बताए गए किन तरीकों को फॉलो करके आप फिट रह सकते हैं और वजन भी कम कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें और उसके बाद ही आगे का प्लान करें।