बारिश के मौसम में बीमारियों से बचाव के आयुर्वेदिक उपाय
बारिश का मौसम जहां एक ओर ताजगी लाता है, वहीं दूसरी ओर कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। बारिश से होने वाली बीमारियों में डेंगू, स्किन एलर्जी, हेपेटाइटिस ए और ई, मलेरिया, टाइफाइड, फ्लू इन्फेक्शन आदि शामिल हैं।
बारिश के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय हैं, जिनसे आप घर पर ही आसानी से इलाज कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम इन बीमारियों और उनसे बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे।
बारिश के मौसम में होने वाली प्रमुख बीमारियां (Major Diseases in Rainy Season)
बारिश के मौसम में कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, जो निम्नलिखित हैं-
1. मलेरिया (Malaria):
मलेरिया के लक्षण और कारण: तेज़ बुखार, ठंड लगना, मतली और कमज़ोरी मलेरिया के लक्षण हैं। संक्रमित मच्छरों के काटने से व्यक्ति मलेरिया से ग्रसित हो सकता है। आपके रक्तप्रवाह में मलेरिया परजीवी इंजेक्ट करता है, जिससे मलेरिया बीमारी होती है।
मलेरिया से बचाव और उपचार:
मलेरिया से बचाव करने के लिए मलेरिया रोधी प्रोफिलैक्सिस का इस्तेमाल करें, मच्छरों के प्रजनन क्षेत्र को खत्म करें, ठहरे हुए पानी में लार्वा को मारें।
2. डेंगू (Dengue):
डेंगू के लक्षण और कारण: डेंगू के लक्षण सिर दर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी लगना, आंखों के पीछे दर्द आदि है।
डेंगू से बचाव और उपचार: डेंगू से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और घर की साफ सफाई करें। इसके उपचार के लिए हरे पत्तेदार सब्जियों, हल्दी वाला दूध, अनार और जामुन जैसे लाल फलों का सेवन करें।
3. टाइफाइड (Typhoid):
टाइफाइड के लक्षण और कारण: टाइफाइड के लक्षणों में बुखार, पेट दर्द, दस्त, गुलाबी धब्बे आदि शामिल हैं। यह टाइफी नामक बैक्टीरिया के जरिए दूषित भोजन या पानी के माध्यम से होता है।
टाइफाइड से बचाव और उपचार: टाइफाइड से बचाव के लिए ओरल वैक्सीन लगवाएं, साफ पानी पिएं और खान-पान का ध्यान रखें। अपने भोजन में सोयाबीन, पके हुए केले, सेब, पपीता और सेब आदि को शामिल करें।
4. पीलिया (Jaundice):
पीलिया के लक्षण और कारण: पीलिया के लक्षणों में शरीर का पीला पड़ना और पेट दर्द होना शामिल है। हमारे लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बिलीरुबिन नामक एक पीला पदार्थ बनता है, जिसे संसाधित करने में लिवर असमर्थ हो जाता है। इसी कारण से पीलिया बीमारी होती है।
पीलिया से बचाव और उपचार:
पीलिया से बचाव के लिए बारिश के समय बासी भोजन न करें। पीलिया का उपचार करने के लिए हर्बल चाय, पपीता, एवोकाडो और आम, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो जैसे खीरा और लौकी का सेवन करें।
5. लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis):
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण और कारण: लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, रक्तस्राव, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, लाल आँखें और उल्टी शामिल हैं। इसका प्रमुख कारण बारिश के समय दूषित पानी का इस्तेमाल करना है।
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव और उपचार:
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के लिए खान और पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें और डॉक्सीसाइक्लिन या पेनिसिलिन जैसे एंटीबायोटिक्स लें।
6. पेट की बीमारियां (Stomach Infections):
पेट की बीमारियों के लक्षण और कारण: पेट की बीमारियों के कारण दस्त, उल्टी, पेट में ऐंठन और दर्द होता है। बारिश के समय बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण पेट की बीमारियां होती हैं।
पेट की बीमारियों से बचाव और उपचार: इसके बचाव के लिए स्वस्थ और ताजा भोजन करें एवं साफ पानी पिएं।
7. सर्दी-खांसी और फ्लू (Cold, Cough, and Flu):
सर्दी-खांसी और फ्लू के लक्षण एवं कारण: सर्दी-खांसी और फ्लू में बुखार और सिर दर्द जैसी परेशानियां होती हैं। यह समस्या मौसम में बदलाव के कारण होती है।
सर्दी-खांसी और फ्लू के बचाव और उपचार: इसे बचाव के लिए फ्लू का टीका लगवाएं और इन्फ्लूएंजा एंटीवायरल दवाओं का सेवन करें। इस समय ग्रीन या ब्लैक टी या बिना चीनी वाले स्पोर्ट्स ड्रिंक का सेवन करें।
बारिश के मौसम में सावधानियां (Precautions during Rainy Season)
बारिश के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए कई सावधानियां बरतनी आवश्यक है ताकि आप स्वस्थ रहें-
स्वच्छता का ध्यान: व्यक्तिगत स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
साफ पानी का उपयोग: पीने के पानी और खाने के लिए साफ पानी का उपयोग करें।
कीटाणुनाशक का प्रयोग: मच्छरों और अन्य कीटों से बचने के लिए कीटाणुनाशक का प्रयोग करें और उनके प्रजनन स्थान को खत्म करें।
पौष्टिक आहार: मानसून की बीमारियों से बचने एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए संतुलित आहार लें।
वायरल संक्रमण से बचाव: वायरल संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग अपनाएं और घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनें।
आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Remedies)
बारिश के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव करने में आयुर्वेदिक उपाय काफी महत्वपूर्ण साबित होता है। आइए जानते हैं आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तरीके के बारे में
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और नुस्खे:
- तुलसी एक ऐसा आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। तुलसी के पत्ते को गर्म पानी में उबालकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से मानसून से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
- एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर मुलेठी बारिश में होने वाली बीमारियों से बचाता है।
- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एलर्जिक गुण होने के कारण यह बारिश की बीमारियों जैसे बुखार, खांसी, सर्दी आदि का तुरंत इलाज करता है।
प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तरीके:
- एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हल्दी का भोजन में सेवन करने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है।
- एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल एजेंट के रूप में जाना जाने वाला लहसुन मौसमी बीमारियों से बचाता है और प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
निष्कर्ष:
बारिश के मौसम में वातावरण में नमी होने के कारण बैक्टीरिया और वायरस की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मानसूनी बीमारियों से बचने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे तुलसी, अदरक, मुलेठी, हल्दी आदि का सेवन करें। घर से बाहर निकलते हुए सावधानी बरतें और सतर्क रहें। इससे आप एक स्वस्थ जीवनशैली प्राप्त करेंगे।