स्वस्थ एवं  सुखी जीवन की कुंजी

सुखी जीवन के लिए जिन भी वस्तुओ की प्राप्ति मानव करना चाहता है जैसे दीर्घ आयु, धन संपदा, मान-सम्मान, व्यवसाय, सन्तान तथा असमय होने वाली दुर्घटनाओ आदि से छुटकारा सभी फलीभूत  हो जाता है जबकि विपरीत कार्य मेंलिप्त मनुष्य इन सबसे कोसों दूर हो जाता है। स्वस्थ व प्रसन्न जीवन के लिए शास्त्रों के अनुसार अपनी अनुशासित जीवनचर्याएवं दिनचर्या का पालन अत्यावश्यक है|

ब्रह्ममुहूर्त में जागरण-

ब्रह्ममुहूर्त प्रातः सूर्य उदय होने से पूर्व 90 मिनट तक का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है अर्थात ब्रह्मा का समय जिसने इस ब्रह्माण्ड की रचना की हैतो वही शक्ति आपके जीवन की भी सुखद रचना करेगी ही। नित्य सूर्योदय से पहले जागरण करने से स्वास्थ्य, धन, बल, बुद्धि, विद्या, दीर्घायु तथा यश आदि प्राप्त होता है एवं जीवन विकार रहित रहता है।

जल ग्रहण

शरीर में त्रिर्दोष पाए जाते हैं वात, पित्त एवं कफ। स्वस्थ शरीर के लिए इनका संतुलित होना अति आवश्यक है। यदि आप प्रतिदिन सुबह उठकर अपने शरीर के तापमान सेप्लस पाँच डिग्री तक का गर्मपानी अर्थात गुनगुना जल ग्रहण करेंजो आधा लीटर से डेढ़ लीटर तक हो सकता हैतो जीवन विकार रहित होगा।

योग, प्राणायाम तथा व्यायाम-

स्वस्थ एवं मजबूत शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है यह हम बचपन से सुनते आए हैं। शरीर को पूर्णतः स्वस्थ रखने के लिए एक ऐसा व्यायाम अति आवश्यक है जो शरीर के प्रत्येक अंगों को चाहेवह बाहर के अंग हों अथवा आं तरिक अंग हो तथा साथ ही मन व आत्मा का व्यायाम भी होना अति आवश्यक है।

प्रथम है सूर्य नमस्कार –

सूर्य नमस्कार अपने आप में एक सम्पूर्ण योग क्रिया है जिससे शरीर के प्रत्येक अंग को स्वस्थ किया जा सकता है। और के वल शरीर को ही नहीं अपितु आत्मा को भी स्वस्थ किया जा सकता है। साथ ही इसमें यदि स्वाँस एवं मंत्रों को जो ड़ दिया जाए तो यह योग क्रिया सूक्ष्म, स्थूल एवं कारण शरीर तक का कल्याण कर देती है।

स्नान-

स्नान करना भी एक पूजा हैअपने मंदिर तुल्य शरीर की पूजा करना हमारा परम कर्तव्य है। इसी शरीर में ईश्वर का अंश विद्यमान् रहता हैअतः इस शरीर रूपी मंदिर को स्वच्छ एवं स्वस्थ रखना हमारा दायित्व है, सर्वाधिक उत्तम स्नान गंगा आदि नदियों अथवा स्वच्छ तालाबों में करने को माना गया है। 

पूजा पाठ –

स्नान आदि क्रियाओ  सेनिवृति के पश्चात स्वच्छ, स्वेत/पीत सूती और  ढी ले वस्त्र धारण करके घर में वृद्ध जनों अथवा बड़े लोगों को नित्य प्रणाम, चरण स्प र्श क र के अभिवादन करना चाहिए। इससेआयु, विद्या, यश, धन, बल एवं स्वास्थ्य में वृद्धि होती है | गायत्री मंत्र एवं ॐ का जाप करने से पूर्वजन्म में किए गए पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं।

ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें आचार, विचार, आहार, विहार सभी आ जाता हैजो एक स्वस्थ एवं सुखद जीवनशैली का प्रतिपादन करती हैं। आज अगर हम अस्वस्थ हैं तो सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हमनेअपनी जीवनशैली को अनुशासित जीवनशैली से अलग कर लिया है। साथ ही वर्तमान दौर में हमने विज्ञान को अपने लाभ के स्थान पर हानि के लिए ज़्यादा प्रयोग किया है।